लखनौ: शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म (Sanatana Dharma) अपना लिया है। उन्हें सनातन धर्म की दीक्षा येति नरसिम्हानंद सरस्वती ने गाजियाबाद के डासना में देवी के मंदिर में दी थी। रिजवी की इच्छा के अनुसार येति नरसिम्हानंद सरस्वती ने उन्हें एक नया नाम और पहचान दी। अब से वह 'जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी' के नाम से जाने जाएंगे।
वसीम रिजवी ने डासना देवी मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक कर ग्रहण किया सनातन धर्म 🚩 pic.twitter.com/or50EDDLFk
— Arun Yadav (@beingarun28) December 6, 2021
चित्र : सनातन धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (स्त्रोत : वसीम रिजवी का ट्वीटर एकाउंट) |
इस्लाम की कड़ी आलोचना की
इस्लाम और कुरान की एक-एक बात समझ चुके रिजवी कई सालों से कुरान की विवादित 26 आयतों के खिलाफ थे। रिजवी का कहना है कि यह आयते इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली है, जिसके खिलाफ उन्होंने अदालत में याचिका भी दायर की थी। साथ ही उन्होंने इस्लाम की गलत प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाकर वह प्रथाएं बंद करने का भी ऐलान किया था। तब से ही रिजवी को कट्टरपंथियोंसे व इस्लामिक धर्मगुरुओं से धमकियां मिल रही है व इस्लाम से बेदखल किया गया था। यह वजह थी वसीम रिजवी ने सनातन धर्म अपनाया। इसके बाद रिजवी ने इस्लाम की आलोचना की। उन्होंने इस्लाम पर हमला बोलते हुए कहा कि यह कोई धर्म नहीं बल्कि एक आतंकवादी समूह है।
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी
— Wasim Rizvi | Jitendra Narayan Singh Tyagi (@WasimRizvi_IND) December 6, 2021
आज हिंदू धर्म स्वीकार्य किया,
अपनी मां की गोद में लौटने जैसा लग रहा है।#wasimrizvi #वसीम_रिज़वी pic.twitter.com/20rarXYFMf
वसीम रिजवी ने कहा, 'मुझे यह बात मोहम्मद साहब के बनाए इस्लाम को पढ़ने और उनका आतंकी चेहरा देखने के बाद पता चला। इस्लाम कोई धर्म नहीं बल्कि एक आतंकवादी समूह है, जो 1400 साल पहले अरब में बना था। वसीम रिजवी का बयान एक नया विवाद खड़ा कर सकता है।
इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते
इस्लाम छोड़कर हिन्दू बनने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा, ''धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं है। इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते।"
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हो अंतिम संस्कार
बता दें कि वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत में कहा था कि उनके शव का पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए, न कि उनकी मृत्यु के बाद दफनाया जाना चाहिए। रिजवी ने यह भी उल्लेख किया था कि उनकी अंतिम संस्कार की चिता गाजियाबाद के डासना मंदिर के एक हिंदू संत नरसिंह आनंद सरस्वती द्वारा जलाई जानी चाहिए।