असम अतिक्रमण विरोधी अभियान: सिपाझार हिंसा में PFI के हाथ होने का मुख्यमंत्री ने दिया संकेत, स्थिति अब सामान्य

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने शनिवार को सिपाझार इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान भड़की हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने की आशंका जताई। उन्होंने बताया कि इसमें 6 लोगो की जानकारी मिली है जो PFI की तरफ से हिंसा के एक दिन पहले यहा के अतिक्रमणकारियों को खाना बाटने के नाम पर मिलने आये थे। साथ ही ये भी कहा कि जब तक जांच पूरी नही हो जाती और सबूत नही मिलते PFI पर ज्यादा टिप्पणी नही करेंगे।

Henmata Biswa Sharma


"स्थिति अब सामान्य है। 60 परिवारों से जगह खाली करनी थी, लेकिन वहा 10,000 लोग थे, उन्हें यहां किसने लाया? ... इसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम सामने आ रहा है, लेकिन न्यायिक जांच होने तक मैं कोई टिप्पणी नहीं दूंगा।" ANI ने असम के मुख्यमंत्री के हवाले से कहा।


राज्य के दरांग जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान गुरुवार को हुई हिंसा में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई जबकी 20 अन्य लोग और 11 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिसमे से एक पुलिसकर्मी की हालत गंभीर बताई जा रही है।

यह अभियान बुधवार तक सुचारू रूप से चला और गुरुवार को केवल 60 परिवारों से जगह खाली करनी थी। लेकिन लाठियों और नुकीले बाम्बू, पत्थर आदि के साथ लगभग 10,000 लोग बड़े पैमाने पर प्रतिरोध करने के लिए सिपाझार में एकत्र हुए, सरमा ने पहले कहा था।

असम के दरांग में धारा 144 लागू

इस बीच, जिला प्रशासन ने सार्वजनिक शांति के किसी भी संभावित उल्लंघन को रोकने के लिए CrPc की धारा 144 लागू की।

असम के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि जिले के गोरुखुटी गांव में जमीन खाली करने के लिए अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू करने से पहले चार महीने से अधिक समय तक चर्चा हुई थी। उनकी सहमति के अनुसार अभियान चलाया गया। मैंने उन्हें बेदखली के बारे में बताया था और यह सुनिश्चित किया था कि कोई विरोध न हो, जिसका उन्होंने वादा किया था। मैंने कांग्रेस को भी यही समझाया। वे मेरी बात से सहमत थे और निर्णय की सराहना की। लेकिन उन्होंने अगले दिन अफरातफरी मचा दी।

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा "बेदखली अभियान एक दिन में नहीं चलाया गया था। यह एक सहमति सिद्धांत के साथ शुरू किया गया था कि भूमि नीति के अनुसार, भूमिहीनों को दो एकड़ जमीन प्रदान की जाएगी और प्रतिनिधियों द्वारा इस पर सहमति व्यक्त की गई थी। इसके बाद, कोई प्रतिरोध की उम्मीद नहीं थी हालांकि, लगभग 10,000 लोगों ने पुलिस को घेर लिया, हिंसा में शामिल हो गए और उन्हें जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।"
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