मुंबई: केरल उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और घर पर कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है। भले ही उसने घर के निर्माण के लिए कुछ पैसे खर्च किए हों, लेकिन वह इसका हकदार नहीं होगा।
न्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ कन्नूर के तालीपरम्बा के डेविस राफेल द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए आदेश पारित किया। डेविस राफेल के ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर किये दावे को अदालत ने खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति एन. अनिल कुमार ने जुर्माना लगाकर द्वितीय अपील खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि लड़की से शादी करने के बाद दामाद को परिवार का हिस्सा माना जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ससुर की संपत्ति पर अधिकार है। अगर दामाद घर में रहता है और घर बनाने के लिए भुगतान करता है, फिर भी दामाद को घर या ससुर की संपत्ति का कोई अधिकार नहीं है।
भारत में दामाद का बहुत सम्मान किया जाता है। विदेश में ऐसा सम्मान नहीं दिया जाता है। लेकिन भारत में ऐसे कई मामले हैं जहां अमीर लड़कियों से शादी कर घरजमाई बन जाते हैं। फिर वे ससुर की संपत्ति का दावा करते हैं। भारत में विभिन्न माध्यमों से संपत्ति हड़पने की घटनाएं होती रही हैं। अदालत में कई ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें आरोप लगाया गया है कि घरजमाई ने अपनी पत्नी की संपत्ति पर दावा करके अपने ससुर की संपत्ति को हड़प लिया है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे ऐसे विवादों को आपस मे सुलझाया जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से सुलझता नहीं है। संपत्ति पर घरजमाई द्वारा किए गए दावों से कई घर परिवार बरबाद हो गए है।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दामाद को परिवार का सदस्य मानना मुश्किल है। अदालत ने कहा, "दामाद के लिए यह दलील देना शर्मनाक है कि उसे परिवार के सदस्य के रूप में गोद लिया गया था।"
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