राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी: चुनाव आयोग ने अजीत गुट को बताया 'असली' एनसीपी, जानिए किस आधार पर हुआ निर्णय

मुंबई: एक प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम में, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने आज 6 फरवरी, 2024 को अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को "असली" राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता दी। यह फैसला अजित पवार के चाचा और अनुभवी राजनेता श्री. शरद पवार से जुड़े पार्टी के भीतर लंबे समय तक चले आंतरिक विवाद के बाद आया है।

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चाचा-भतीजा लड़ाई में आखिरकार आज अजीत पवार गुट की जीत हुई

6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एनसीपी में विवाद का निपटारा करते हुए अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है। 

चुनाव आयोग के मुताबिक शरद पवार गुट (Sharad Pawar group) समय पर बहुमत साबित नहीं कर सका, इसके चलते चीजें उनके पक्ष में नहीं गईं। महाराष्ट्र से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए शरद पवार गुट को चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39AA का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी गई हैं। उन्हें 7 फरवरी शाम तक नई पार्टी गठन के लिए तीन नाम देने को कहा गया है।

इस आधार पर दिया चुनाव आयोग ने फैसला

चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाने से पहले विभिन्न कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार किया। इसका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया गया:

पार्टी संविधान: दोनों गुटों ने एनसीपी के संविधान की व्याख्या प्रस्तुत की, जिसमें चुनाव आयोग ने वैध आंतरिक चुनावों और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के संबंध में अजीत पवार के दावों का समर्थन किया।

संगठनात्मक संरचना: चुनाव आयोग ने अधिकांश पार्टी कार्यालयों और संगठनात्मक बुनियादी ढांचे पर अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के नियंत्रण को स्वीकार किया।

विधायी ताकत: चुनाव आयोग ने अजित पवार का समर्थन करने वाले विधायकों (MLAs) की बड़ी संख्या पर विचार किया, जो पार्टी के भीतर व्यापक विधायी मान्यता को दर्शाता है।

क्या होंगे इस निर्णय के परिणाम

यह फैसला अजित पवार गुट को काफी सशक्त बनाता है। अब उन्होंने एनसीपी नाम और उसके प्रतिष्ठित "घड़ी" चिन्ह को बरकरार रखा है, जो भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे एनसीपी के नेता के रूप में अजित पवार की स्थिति मजबूत हो गई है, खासकर महाराष्ट्र के भीतर।

हालांकि, शरद पवार को झटका लगा है। उनकी बेटी सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले 'शरद पवार गुट' ने निराशा व्यक्त की और चुनाव आयोग के फैसले को अदालत में चुनौती देने की बात कही। यह कानूनी लड़ाई एनसीपी के भीतर दरार को और गहरा कर सकती है।

फैसले से परे: खुला नाटक

हालांकि चुनाव आयोग का निर्णय एक निर्णायक क्षण है, लेकिन यह अंतिम कार्य नहीं है। अनुसरण करने योग्य मुख्य पहलुओं में शामिल हैं:

कानूनी चुनौती: शरद पवार की कानूनी अपील का नतीजा एनसीपी के परिदृश्य में भारी बदलाव ला सकता है।

आंतरिक गतिशीलता: एनसीपी आंतरिक संघर्ष और संभावित सुलह प्रयासों से कैसे निपटती है, यह महत्वपूर्ण होगा।

महाराष्ट्र की राजनीति पर प्रभाव: यह निर्णय राज्य के भीतर सत्ता समीकरणों और गठबंधनों को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह: अनिश्चितताएँ और संभावनाएँ

चुनाव आयोग के फैसले से महाराष्ट्र और उसके बाहर राजनीतिक भूचाल आ गया है। जबकि अजित पवार तत्काल लाभार्थी के रूप में उभरे हैं, कानूनी चुनौती और आंतरिक गतिशीलता ने एनसीपी के भविष्य को अनिश्चित बना दिया है।  यह देखना अभी बाकी है कि क्या यह फैसला सुलह का मार्ग प्रशस्त करता है या पार्टी को और विभाजित करता है। केवल समय ही बताएगा कि यह राजनीतिक नाटक कैसे सामने आता है और एनसीपी के भविष्य को कैसे आकार देता है।
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